तालीम क्यों ज़रूरी है?
तालीम इल्म की बुनियाद है और इल्म दौलत से भी ज्यादा ताकतवर होता है। तालीम एक खुशगवार ज़िंदगी की चाबी है। अलबत्ता मुसलमानों के कुछ गिरोहों में तालीम की अहमियत को बहुत हल्के मिजाज़ से लिया जाता है, ख़ास तौर पर हमारी कुरेश बिरादरी में,और खास तौर पर लड़कियों के लिए। मुसलमान लड़कियों के लिए आला और मयारी तालीम को ममनू समझा जाता है और तरजीह नही दी जाती
औरत की तालीम बहुत अहम है
हमे इसके बारे में बात करने और जागरूकता फैलाने की जरूरत है, और ये यकीनी बनाने की ज़रूरत है कि दीनी और दुनियावि तालीम मुसलमान लड़कियों की मजमूई तरक्की के लिए बुनियादी तौर पर जरूरी है। औरतें ही घर को घर बनाती हैं तो यह बहुत ज़रूरी है के उनके दिमाग़ दीनी और दुनियावी इल्म से सराबोर हों, तभी हमारी कौम और बिरादरी की मुकम्मल तरक्की मुमकिन है।
तालीम क्या है?
तालीम सिर्फ नंबर, डिग्री, और दरजात का नाम नहीं है, बल्कि एक शख्स की मुकम्मल तब्दीली के नताइज का नाम है, तालीम खुदशनासी लाती है, तालीम रौशनी लाती है, तालीम हर मुसलमान शख्स की बुलंदी के लिए बहुत एहम है, जब एक शख्स खुदशनास होता है तो वह अपना ख्वाहिशात, मकासिद और ख्वाबों से वाकिफ हो जाता है, फिर वह शख्स हिदायत के रास्ते को चुन कर अपने आमाल और अफआल को दुरुस्त कर सकता है।
मआशी तरक्की में औरत का किरदार
हम मुसलमानों की मअशी तरक्की में औरत के किरदार से वाकिफ हैं, एक औरत अपनी नस्ल के मुस्तकबिल की तरक्की मे एहम रोल निभाती है, फिर कैसे उनकी तालीम की अहमियत को नज़रअंदाज़ किया जा सकता है?
आज तक औरत को बराबर तालिमी मौके से महरूम किया जाता है, सिर्फ इस लिए के उसकी शादी करनी है, जहेज़ के पैसे जमा करने हैं, फिर कौनसा इसने कमाना है, तालीम हासिल करके भी चूल्हा चौका ही तो करना है वगैरा – वगैरा।