निकाह
निकाह वोह नेकी की सुन्नत है जो हजरत मुहम्मद ﷺ ने अपनी जिंदगी में अदा की। हम अल्लाह के मोमिन और हजरत मुहम्मद ﷺ के उम्मती हैं और उनके आमाल और अफआल की पैरोकारी करना हमपर वाजिब है। उन्होंने तमाम मोमिनो को बताया कि निकाह वो सुन्नत है जो मोमिन को ईमान के करीब ले आती है। लिहाज़ा इसे बेहद सादगी से पूरा किया जाना चाहिए और किसी शानो शौकत के साथ नही किया जाना चाहिए।
हजरत मुहम्मद ﷺ ने फरमाया “औरत से चार चीजों के लिए शादी की जाति है; उसकी दौलत, उसका खानदान, उसका हुस्न, और उसका मज़हब_अगर तुम खुशहाली चाहते हो तो एक मज़हबी औरत को चुनो”
क़ुरान में इंतखाब के पैमाने
क़ुरान मजीद में दूल्हा और दुल्हन के इंतखाब के सारे पैमाने हमे पहले ही बता दिए गए हैं। लेकिन हम दुनियावी तकल्लुफात को पूरा करने के लिए जो काम कर रहे हैं उसमे हमारी पहली प्रायोरिटी दौलत और हुस्न है क्योंकी ये चीज़े हमारे सोशल स्टेटस के लिए ज़रूरी हैं, हमने निकाह को एक बिज़नेस डील बना दिया है जहां सुन्नते हमारे लालच से ढक जाती हैं।
आप क्या चुनेंगे सुन्नत या फसाद
हम सुन्नतों से भटक कर अंधो की तरह दूसरी अकवाम की मुशाबिहत करते हैं, और कलामउल्लाह की मुखालफत करते हुए अपनी दौलत का बड़ा हिस्सा इंसानों की बनाई बेहूदा शादी की रस्मो पर खर्च कर देते हैं। इस्लाम ने तो शादी को बेहद आसान बनाया है मगर हमे तो फसाद करने की आदत है ना।
निकाह का सुन्नत तरीका
निकाह का सुन्नत तरीका तो यह है की मस्जिद में सादगी के साथ निकाह किया जाए, बहुत करीबी रिश्तेदारों की मौजूदगी में, गरीबों और मुसाफिरों को खाना खिला सकते हैं लेकिन महीनों से तैयारियां करना जहेज़ जमा करना, तोहफे–न्योते जमा करना, बड़े–बड़े अखराजात करना सही नही। बहुत बड़ी वलीमा पार्टी करने की भी कोई ज़रूरत नहीं।
आएं पहल करते हैं
हम सबको ये समझने की ज़रूरत है कि रसूल अल्लाह ﷺ की सुन्नत को सिर्फ उसी तरह अंजाम देना चाहिए जैसे रसूल अल्लाह ने बताई है, हमें पूरी उम्मत के साथ इस पैगाम को शेयर करना चाहिए हमे अपने बच्चो की शादी को पैगंबर के तरीके पर करना चाहिए।