आओ निकाह को आसान करें और सुन्नत– ए– रसूल ﷺ क़ायम करें
आपसे इल्तिजा की जाती है कि बिरादरान-ए-इस्लाम के फ़िक्रमन्द साथीयो द्वारा इस्लामिक रिवायत “निकाह” को आसान बनाने व सुन्नत-ए-रसूल मुहम्मद ﷺ को क़ायम करने की नियत से एक ग़ैर राजनीतिक संगठन “अन्न-निकाह-मिन-सुन्नती” बनाया गया है।
जिसका संपूर्ण विवरण, कार्यशैली आदि को ऑनलाइन करने और शोशल मीडिया व्हाट्स एप्प आदि के माध्यम से लोगों को जोड़ने व जागरूक करने पर भी काम किया जा रहा है।ताकि इस मुहिम का लाभ दूर-दराज रहने वाले सभी बिरादरान-ए-इस्लाम के आम लोगों को भी मिल सके।
बिरादरान-ए-इस्लाम के सभी सम्मानित साथीयो से गुज़ारिश है। “निकाह” को आसान बनाने और सुन्नत-ए-रसूल ﷺ को क़ायम करने के लिये “अन्न-निकाह-मिन-सुन्नती” ग्रुप का हिस्सा बनकर कौम की ख़िदमत करे।
गैर इस्लामी रसूमात
ताकि बिरादरान-ए-इस्लाम में फैली ग़ैर इस्लामी रसूमात जैसे :-बैण्डबाजा, डीजे, घुड़चढ़ी, आतिशबाज़ी, स्टेजप्रोग्राम आदि
शादी से पहले की रस्में:-
अँगूठी पहनाई, चूड़ियाँ पहनाई, रिश्ता, रंग व लाल ख़त में समान, ईद मिलाई, नया साल गिफ़्ट ,मौत व अस्पताल की मिलाई,आदि
शादी के बाद की रस्में:-
शेहरा बँधाई , झूठ ,छूछक,भात आदि पर अंकुश लगाया जाये।
केवल इस्लामिक ज़रूरी रसूमात व सुन्नत-ए- रसूल पर काम किया जाये।
निकाह :-
(१)-साधारण व सुन्नत तरीक़े पर हो।
(२)- शादी की चिट्ठी/लालख़त साधारण तरीक़े से भेजा जाये।
(३)-बेटी के निकाह में बड़े प्रोग्राम बंद हो।
(४)-निकाह में मुख़्तसर मेहमानों का इंतिज़ाम किया जाये।
(५)-ख़ाना बैठाकर खिलाया जाये।
(६)-बेटी को उसका हक़ बिना नुमाइश दिया जाये।
(७)-किसी भी लेनदेन को जहेज़/दहेज के रूप में सार्वजनिक ना किया जाये।
(८)-बेटे वाला अपनी हैसियत का वलीमा करे।
(९)- निकाह में मेहर मुख्तसर हो।
(१०)- संभव हो, तो बेटी के निकाह में बस्ती का ख़ाना बंद हो ।
नोट:- जहेज़/ दहेज लानत है जो समाज में फैली सबसे गंभीर बीमारी है ।जो समाज़ को दीमक की तरह खाती जा रही है।आज बढ़ती मंगाई और कारोबार का गिरता स्तर बेटीयो के परिजनों की कमर तौड़ रहा है । जिस कारण जहेज़/दहेज की पूर्ति ना होने से बिरादरान-ए- इस्लाम की कितने बेटियाँ अपने पिता की बेबसी के कारण घरों में बैठी है और समाज में फैली इसी बुराई के कारण कितनी बेटियाँ मूर्तद्द हो रही।
अल्लाह हम सबकी इज्जत आबरू की हिफ़ाज़त फ़रमाये।और बेटियों के हक़ में अच्छे फ़ैसले लेने की कुव्वत और हिम्मत दे।
आमीन